जिला आपदा प्रबंधन नियंत्रण कक्ष (डीडीएमसीआर)
आपदा प्रबंधन अलग क्षेत्र या शाखा नहीं है, बल्कि किसी भी क्षेत्र – कृषि, औद्योगिक, पर्यावरणीय, सामाजिक आदि पर प्रभाव डालने वाले आपदाओं से संबंधित समस्या ओं के समाधान हेतु एक दृष्टिकोण है। अंतत: आपदा प्रबंधन की, आपदा द्वारा प्रभावित होने की संभावना वाले सभी क्षेत्रों, सभी संगठनों तथा सभी अभिकरणों की जिम्मे्दारी है एवं विद्यमान संसाधनो का उपयोग करते हुए संसाधन एवं कम लागतों में दक्षता सुनिश्चित करना है । आपदाए सामान्या रूप से जीवन और संपत्ति का व्याएपक नुकसान करती है और आर्थिक विकास पर विपरीत प्रभाव डालती है । जिला प्रशासन, अण्ड्मान तथा निकोबार द्वीपसमूह के संपूर्ण- समाजार्थिक विकास के अहितकर प्रभाव को कम करने के लिए आपदा प्रबंधन में सजग, व्या-पक एवं सतत दृष्टिकोण की आवश्य कता पर बल देती है । किसी भी आपदा प्रबंधन नीति का मुख्यग उद्देश्यय आपदा जोखिमों को कम करने के लिए आवश्य क प्रणालियों, संरचनाओं, कार्यक्रमों, संसाधनों, क्षमताओं और मार्गदर्शी सिद्धांतो को स्थासपित करना है तथा जिंदगी और संपत्ति को बचाने के लिए, दैनिक गतिविधियों में बाधा, पर्यावरण के नुकसान को रोकने के लिए, आपदाओं और उनसे होने वाले खतरों से निपटने के लिए तैयार रहना है और यह सुनिश्चित करना है कि विकासात्मआक कार्य सतत और लगातार चलता रहें ।
जिला प्रशासन के पास एक अलग आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठम है । आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठे का कार्य – नियंत्रण कक्ष की स्थाकपना करना, चेतावनी का प्रसार करना, आपदा के दौरान राहत और बचाव उपायों की निगरानी, तैयारी का निर्धारण, मानक-प्रचालन प्रक्रिया की तैयारी एवं संकलन, राहत गोदाम तथा अन्यि विभागों में आपदा की तैयारी से संबंधित सामग्रियों के वितरण, आपदा की संवेदनशीलता का मूल्यांाकन, सामुदायिक आधारित आपदा प्रबंधन योजना की तैयारी, मॉकड्रिल तथा प्रशिक्षण इत्याूदि के माध्याम से जागरूकता उत्पुन्न करना है ।